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381. बाजारूपन से क्या तात्पर्य है?
382. जेब भरी हो और मन खाली हो, तब क्या होता है?
383. जेब खाली हो और मन भरा न हो तब क्या होत है?
384. बाजार दर्शन पाठ के आधार पर पैसे की व्यंग्य शक्ति को स्पष्ट कीजिए।
385. बाजार दर्शन के विद्वान पाठक से चूरन बेचने वाले भगत जी श्रेष्ठ है। अपना विचार स्पष्ट कीजिए।
386. बाजार किसी का लिंग, जाति, धर्म या क्षेत्र नहीं देखता, वह देखता है सिर्फ क्रय शक्ति को। इस रूप में वह एक प्रकार से सामाजिक समता की भी रचना कर रहा है। आप इसमें कहाँ तक सहमत है?
387. किस कारण व्यक्ति कोरे गाहक व बेचक बन जाते हैं?
388. फैंसी चीजों के विषय में लेखक का क्या मानना है?
389. गद्याश पर आधारित अर्थग्रहण के प्रश्न : उन लोगों के दो नाम थे- इंदर सेना या मेढ़क मंडली। बिल्कुल एक दूसरे के विपरीत। जो
390. गद्याश पर आधारित अर्थग्रहण के प्रश्न : बिना त्याग के दान नहीं होता। अगर तेरे पास लाखों करोड़ों रूपये है और उसमें से तू दो चार
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